TRAI ने MNP के नियम में किया बदलाव, अब नंबर पोर्ट कराने के लिए नहीं करना होगा इंतजार
ई के नए नियम के मुताबिक, MNP कराने की अधिकतम समय सीमा अब 7 दिन से घटाकर 2 दिन (सर्किल के अंदर) कर दी गई है
By Harshit HarshEdited By: Updated: Thu, 27 Sep 2018 10:01 AM (IST)
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। TRAI यानी भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने मोबाइल नंबर प्रोटेबिलिटी (MNP) के नियम में बदलाव किया है। मोबाइल नंबर पोर्ट कराने के लिए अब आपको 7 दिन का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ट्राई के नए नियम के मुताबिक, MNP कराने की अधिकतम समय सीमा अब 7 दिन से घटाकर 2 दिन (सर्किल के अंदर) कर दी गई है। वहीं, अगर एक सर्किल से दूसरे टेलिकॉम सर्किल में नंबर पोर्ट कराना है तो इसके लिए अधिकतम 4 दिन का समय लगेगा। इसके साथ ही पोर्टिंग रिक्वेस्ट को जान-बूझकर रिजेक्ट करने पर अधिकतम 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
वर्तमान नियम में लगता है 7 दिनट्राई के सीनियर ऑफिशियल के मुताबिक, ट्राई की इस नई गाइडलाइन्स में टेलिकॉम ऑपरेटर्स की खराब सर्विस से जूझ रहे यूजर्स को दो दिन के अंदर ही वर्तमान ऑपरेटर को बदला जा सकेगा। फिलहाल यूजर्स टेलिकॉम ऑपरेटर को 7 दिन में बदल सकते हैं। देशभर में वर्तमान MNP के नियम के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा 7 कार्य दिवस में ऑपरेटर को बदला जा सकता है। वहीं, जम्मू और कश्मीर एवं नार्थ-ईस्ट राज्यों के यूजर्स को 15 कार्य दिवस का समय मिलता है। आपको बता दें कि मोबाइल नंबर पोर्ट कराने को और सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसी साल अप्रैल में MNP के लिए नया ड्राफ्ट तैयार किया था। इस ड्राफ्ट में MNP के लिए नई गाइडलाइन्स बनाई गई थी।
24 घंटे के अंदर में भेजना होगा यूजर डिटेल्सट्राई की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, वर्तमान ऑपरेटर को यूजर की पोर्टिंग डिटेल्स 24 घंटे के अंदर भेजनी होगी। अगर, ऑपरेटर इस प्रक्रिया में बिलंब करता है तो उसे अधिकतम 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। वहीं, यूजर्स को भी 24 घंटे के अंदर अपनी पोर्टिंग रिक्वेस्ट को रिजेक्ट करना होगा। 24 घंटे के अंदर पोर्टिंग प्रकिया शुरू हो जाएगी, जिसके लिए यूजर के पास एक एसएमएस भेजा जाएगा। इस पोर्टिंग प्रक्रिया को यूजर्स 24 घंटे के अंदर रोक सकते हैं। अप्रैल 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच टेलिकॉम आपरेटर्स ने 11.16 फीसद पोर्टिंग रिक्वेस्ट को रिजेक्ट किया है। जिसमें ज्यादातर मामला UPC (यूनिक पोर्टिंग कोड) मिसमैच के हैं। 40 फीसद मामला UPC के एक्सपायर होने का भी शामिल है।